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हिमाचल प्रदेश-उत्तराखंड में बारिश और भूस्खलन से तबाही का मंजर डराने लगा, दोनों राज्यों में जान-माल के साथ भारी नुकसान, जानिए ताजा हालात

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(आसमानी आफत)

इस बार हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश ने आफत बरसा दी है। दोनों राज्यों में जान माल के साथ भारी नुकसान हुआ है। ‌वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सूखे जैसे हालात हैं। ‌हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भारी बारिश के चलते नदियां उफान पर हैं। पहाड़ दरक रहे हैं। जगह जगह लैंडस्लाइड से तबाही देखने को मिल रही है। 

आसमानी आफत से हर तरफ हाहाकार मची है। बारिश और भूस्खलन के बाद हिमाचल प्रदेश के कई शहरों की सूरत बिगड़ गई है। ‌हिमाचल में कई दिनों से भारी बारिश जारी है। जिसके चलते शिमला, सोलन समेत कई जिलों में लैंडस्लाइड हुई। शिमला में समर हिल, फगली और कृष्णानगर लैंडस्लाइड से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। जहां हिमाचल में बारिश ने 50 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। 

राज्य में बाढ़-बारिश, लैंडस्लाइड से जुड़ी घटनाओं में 335 लोगों की मौत हुई है। वहीं उत्तराखंड में भी मानसूनी बारिश कहर आफत बनकर बरसी है। अब तक राज्य में 52 लोगों की मौत हुई है। जबकि कई लोग लापता हैं। उत्तराखंड में भी सोमवार से भारी बारिश हो रही है। तेज बारिश की वजह से जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। लोगों को बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्रों में बाहर न जाने की चेतावनी दी गई है। इतना ही नहीं हरिद्वार में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से बस थोड़ा नीचे रह गया है। ऋषिकेश में गंगा का पानी घाटों के किनारे स्थित इलाकों में भर गया। ऋषिकेश के गंगानगर में बॉलीवुड गायिका नेहा कक्कड़ के घर की गली समेत कई गलियों में पांच- पांच फीट तक पानी भरा हुआ है। नेहा कक्कड़ के घर से लेकर गली में पानी भरने के कारण यहां वाहन पानी में तैर रहे हैं। वहीं उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में एक पुल ढहने के बाद मद्महेश्वर मंदिर में सैकड़ों श्रद्धालु फंस गए। सभी 293 तीर्थयात्रियों का रेस्क्यू कर लिया गया है। इनमें से 240 श्रद्धालुओं को एयरलिफ्ट किया गया। जबकि 53 को रोप रिवर क्रॉसिंग के सहारे बाहर निकाला गया। 

भूस्खलन के कारण शनिवार को ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे एक बार फिर तोताघाटी के पास बाधित हो गया। ट्रैफिक को डायवर्ट किया गया। रुक-रुककर हो रही बारिश से बदरीनाथ हाईवे खस्ता हालत में पहुंच गया है। हाईवे पर 20 भूस्खलन और 11 भूधंसाव जोन सक्रिय हो गए है। कई पुराने भूस्खलन जोन भी सक्रिय हुए हैं। इससे वाहनों की आवाजाही खतरनाक बनी हुई है। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों के लिए दोनों राज्यों में तेज बारिश होने की आशंका जताई है। 

मौसम विभाग के निदेशक विक्रम सिंह का कहना है कि 21 अगस्त के बाद प्रदेशभर में तेज बारिश होने के आसार हैं। मौसम विभाग के मुताबिक 20 अगस्त को उत्तराखंड के कुछ जिलों में जैसे देहरादून, नैनीताल और बागेश्वर में भारी बारिश के आसार हैं, जबकि 21 अगस्त को कई जिलों में मूसलाधार बारिश हो सकती है। देहरादून, पौड़ी, नैनीताल, चंपावत और बागेश्वर जिलों में 21 अगस्त को भारी से भारी बारिश देखने को मिल सकती है। इसी तरह हरिद्वार, पिथौरागढ़, चमोली और टिहरी जिलों को भी मौसम विभाग ने अलर्ट पर रखा है। मौसम विभाग ने 25 अगस्त के बाद बारिश की एक्टिविटी कम होने की संभावना जताई है।

 

हिमाचल में लगातार बारिश और भूस्खलन के बाद हजारों लोगों का पलायन शुरू--


इस बार मानसून की बारिश ने पूरे हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर गहरी चोट पहुंचाई है। अभी तक राज्य सरकार बारिश से हुए नुकसान का सही आकलन भी नहीं कर पाई है। करीब ढाई महीने से लगातार बारिश, प्राकृतिक आपदा हिमाचल में कहर बरपा रही है। चारों तरफ तबाही का मंजर लोगों को डरा रहा है। वहीं राज्य के अधिकांश जिलों में भारी नुकसान हुआ है। 

शनिवार, 19 अगस्त को एक बार फिर मौसम विभाग ने अगले 21 से 23 अगस्त तक बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। इस बार हिमाचल प्रदेश के कई जिलों में बारिश ने कई ऐतिहासिक और मजबूती इमारत को भी ढहा दिया। कई इमारतें और पुल भरभरा कर बह गए। सोशल मीडिया पर इमारतों को भरभरा कर गिरते हुए देखा गया। वहीं दूसरी ओर लगातार जारी बारिश के बाद शिमला समेत कई घरों में पानी भरा है। बारिश की वजह से शिमला के निचले इलाकों में रहने वाले लोगों ने घरों से पलायन भी शुरू कर दिया है। हिमाचल में बारिश और भूस्खलन की वजह से अब तक 335 लोग काल के गाल में समा गए हैं। इसके अलावा राज्य में 324 लोग अलग-अलग घटनाओं में घायल भी हुए हैं।

 वहीं 37 लोग अभी भी लापता हैं। हिमाचल प्रदेश में 24 जून से लेकर अब तक 8014.61 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। भारी बारिश ने 2 हजार 22 घरों को पूरी तरह तबाह कर दिया। इसके अलावा 9 हजार 615 घरों को आंशिक तौर पर नुकसान हुआ है। प्रदेश में 296 दुकान और 4 हजार 453 पशु घर बह गए। हिमाचल में 24 जून से लेकर अब तक 113 भूस्खलन और 58 फ्लैश फ्लड की घटनाएं भी रिकॉर्ड की गई हैं। 24 जून से हिमाचल प्रदेश में कुदरत अपना कहर बरपा रही है। अब तक 335 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं करीब इतने ही लोग घायल हुए हैं। राज्य को 8 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है। 

शुक्रवार को सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश को पूरे राज्य को प्राकृतिक आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित किया है। शिमला के पुलिस अधीक्षक (एसपी) संजीव कुमार गांधी ने कहा कि समर हिल इलाके में एक शिव मंदिर के मलबे से एक और शव बरामद होने के साथ ही बारिश से प्रभावित हिमाचल प्रदेश में मरने वालों की संख्या 75 हो गई है। इनमें से 22 लोगों की मौत शिमला में समर हिल में स्थित शिव मंदिर, फागली और कृष्णानगर में हुए भूस्खलन में हुई। छह लोगों के अब भी मंदिर के मलबे में दबे होने की आशंका है। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण के काम को पहाड़ जैसी चुनौती बताया। 

हिमाचल प्रदेश के सीएम सुक्खू ने कहा, राज्य को इस मानसून में भारी बारिश के कारण करीब 10 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. बारिश और लैंडस्लाइड की वजह से बर्बाद हुए बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण में एक साल लगेगा। सीएम ने कहा, सड़कों और जल परियोजनाओं के पुनर्निर्माण में समय लगता है। लेकिन हम इस प्रक्रिया में तेजी ला रहे हैं।मौसम विभाग के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश में इस साल मानसून के 54 दिनों में 742 मिमी बारिश हो चुकी है, जबकि 1 जून से 30 सितंबर के बीच सीजन का औसत 730 मिमी बारिश होती है। 

शिमला मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक सुरिंदर पॉल ने बताया कि इस जुलाई में राज्य में दर्ज की गई बारिश ने पिछले 50 सालों के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। इससे पहले जुलाई में बारिश और बाढ़ ने हिमाचल के मंडी, कुल्लू, शिमला में भारी तबाही मचाई थी। इस तबाही में सैकड़ों सड़कों, ब्रिज और बुनियादी ढांचों को नुकसान पहुंचाया था।

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