Prabhat Vaibhav,Digital Desk : विधानसभा चुनाव 2022 के बाद से राजनीति से दूर रहे सिद्धू परिवार ने अब 2027 के चुनाव की तैयारियों की शुरुआत कर दी है। हाल ही में पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व प्रधान और कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी, डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने दोबारा चुनाव लड़ने का ऐलान किया। इसके बाद शुक्रवार को सिद्धू ने दिल्ली में कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात की।
इस मुलाकात और राजनीति में उनकी वापसी पर मुख्यमंत्री भगवंत मान ने चंडीगढ़ में कहा कि हर किसी के लिए राजनीति में शामिल या बाहर होने की स्वतंत्रता है। उन्होंने कहा, “सिद्धू ने पंजाब की राजनीति को फिर याद किया, यह अच्छी बात है। हालांकि, पूर्व क्रिकेटर के तौर पर नई उम्मीदें अब कम हैं, क्योंकि उनका पुराना एजेंडा वही है।”
सिद्धू ने प्रियंका गांधी से मुलाकात के फोटोज़ अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा करते हुए लिखा, “अपने मार्गदर्शक, प्रकाश स्तंभ और संरक्षक से मिला। कठिन समय में उनके और भाई के साथ के लिए आभारी हूँ।”
चुनावी इतिहास और पिछले अनुभव
2022 के विधानसभा चुनाव में नवजोत सिद्धू अमृतसर पूर्वी से चुनाव हार गए थे। इससे पहले 2012 में डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने इसी हलके से भाजपा की टिकट पर जीत दर्ज की थी, जबकि 2017 में सिद्धू ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीतकर कैबिनेट मंत्री बने थे।
2022 के त्रिकोणीय मुकाबले में सिद्धू, बिक्रम सिंह मजीठिया और आप की जीवनजोत कौर के बीच सिद्धू चुनाव हार गए। इसके बाद से सिद्धू परिवार लंबे समय तक अमृतसर और पंजाब की राजनीति से दूर रहा।
डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने 1 अक्टूबर को चंडीगढ़ में स्पष्ट किया कि वह अमृतसर पूर्वी से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं और जनता की सेवा करना चाहती हैं। उन्होंने कहा, “यह काम विधायक बनकर ही बेहतर तरीके से किया जा सकता है। पार्टी हाईकमान टिकट देगा या नहीं, यह उनका अधिकार है, लेकिन मेरी तैयारी पहले से शुरू हो चुकी है।”
2024 के लोकसभा और निकाय चुनाव में गैर-हाजिरी
सिद्धू परिवार 2024 के लोकसभा और निकाय चुनाव में भी सक्रिय नहीं रहा। उनके गैर-मौजूदगी में लोकसभा चुनाव में नगर सुधार ट्रस्ट के पूर्व चेयरमैन दिनेश बस्सी ने हलके की कमान संभाली। चुनाव के बाद पीपीसीसी ने पूर्व सांसद जसबीर सिंह डिंपा को हलके की कमान बतौर इंचार्ज सौंपी। डिंपा और बस्सी दोनों ही इलाके में सक्रिय हैं और स्थानीय राजनीति में भाग ले रहे हैं।
सिद्धू परिवार की यह वापसी राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है और 2027 के चुनाव तक उनकी सक्रियता बढ़ने की संभावना है।




