टिहरी। उत्तराखंड में लगातार हो रही मानसूनी बारिश की वजह से टिहरी डैम की झील का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। इससे झील से सटे आसपास के गांवों में भूस्खलन और भूधंसान का खतरा भी बढ़ने लगा है। झील से सटे ऊठड़, पिपोला, भटकंडा, नंदगांव समेत लगभग एक दर्जन गांवों में स्थित मकानों में दरारें भी बढ़ रही है तो कई मकान बल्लियों के सहारे टिकाये गए हैं। बारिश की आफत का असर खेतों पर भी पड़ता है। खेतों में धसाव की वजह से खेती करना जान का जोखिम डालने जैसा हो जाता है।
बता दें कि टिहरी बांध से सटे गांवों में रह रहे ग्रामीणों को मकान के गिरने का डर सता रहा है। ग्रामीण बारिश के दिनों में डर के मारे सो भी नहीं पा रहे हैं। वे रात-रात भर जागकर नदी के बढ़ते जल स्तर पर नजर रखते हैं। बता दें कि टिहरी झील प्रभावित ग्रामीण लंबे समय से विस्थापन की मांग कर रहे है, लेकिन अभी तक आंशिक रूप से डूबे क्षेत्र के इन गांवों का न तो विस्थापन हो पाया और न ही इन्हें को मुआवजा दिया गया है। अब एक बार फिर से बरसात आफत बनकर आई है जिससे यहां रहने वाले तमाम ग्रामीण फिर से दहशत के साए में जीने को मजबूर हो गए हैं।
टिहरी डैम की झील से प्रभावित इन गांवों के लोग हर बार बारिश का सीजन शुरू होते ही डर के साए में जीने को मजबूर हो जाते हैं। एक एक्सपर्ट कमेटी द्वारा झील प्रभावित गांवों का सर्वे भी कराया जा चुका है और लगभग 17 गांवों के 415 परिवारों का विस्थापन या मुआवजा देना प्रस्तावित है, लेकिन अभी तक कार्रवाई जस की तस है। ग्रामीणों का विस्थापन किया गया और न ही मुआवजा दिया गया।
इस मामले में जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी बृजेश भट्ट का कहना है कि ये मामला पुर्नवास विभाग का है लेकिन बरसात के मद्देनजर संवेदनशील परिवारों को जल्द ही सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर दिया जायेगा। टिहरी डैम की झील से प्रभावित ग्रामीण लंबे समय से विस्थापन का इंतजार कर रहे हैं लेकिन सारा काम अभी सिर्फ कागजों पर ही हो रहा है।