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Uttarakhand Spiritual Travel Tourism : शिव नगरी के रूप में विकसित होगा पिथौरागढ़ का गूंजी, देश-दुनिया को कराएगा आध्यात्मिक अनुभव, जानिए

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देहरादून। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के बख्शी स्टेडियम में आयोजित ‘विकसित भारत विकसित जम्मू कश्मीर’ कार्यक्रम में देश में पर्यटन क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए स्वदेश दर्शन योजना 2.0 और प्रसाद योजना तहत 1400 करोड़ से अधिक की 52 पर्यटन परियोजना राष्ट्र को समर्पित किया। वहीं, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी सचिवालय से वर्चुअल रूप से कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।

स्वदेश दर्शन योजना 2.0 और प्रसाद योजना के अंतर्गत उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में गूंजी को शिव नगरी के रूप में विकसित किया जाना प्रस्तावित है। प्रथम चरण में गूंजी में ग्रामीण पर्यटन क्लस्टर के रूप में विकसित किए जाने के लिए कार्य किए जांएगे। इसके साथ ही चंपावत जिले में चंपावत टी गार्डन एक्सपीरियंस विकसित किया जाना प्रस्तावित है।

आदिकैलाश, गूंजी, पार्वती कुंड की वैश्विक पहचान

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में भारत के साथ उत्तराखंड निरंतर आगे बढ़ रहा है। देश के विभिन्न स्थानों के धरोहरों का विकास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के भ्रमण से पर्यटन की दृष्टी से आदिकैलाश, गूंजी, पार्वती कुंड की वैश्विक पहचान बनी है। पिथौरागढ़ एवं चंपावत की योजनाएं पर्यटन को नया आयाम देंगी।

ग्रामीण पर्यटन विकसित किए जाने की परिकल्पना

उल्लेखनीय है कि पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार की ओर से संचालित स्वदेश दर्शन योजना 2.0 के अंतर्गत ग्रामीण पर्यटन विकसित किए जाने की परिकल्पना की गई है। इससे वहां के स्थानीय पर्यटन को उत्तराखंड के मुख्य गंतव्य के साथ जोड़ा जा सकेगा।

स्थानीय उत्पाद, संस्कृति, विलेज टूअर आर्ट को मिलेगा बढ़ावा

जनपद पिथौरागढ़ का गूंजी शिव नगरी के रूप में विकसित होने से वहां पर आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त किया जा सके। प्रथम चरण में 1.4 एकड़ भूमि पर पर्यटन सुविधा केंद्र विकसित किया जाना प्रस्तावित है। इससे पर्यटकों व स्थानीय लोगों को अपने स्थानीय उत्पाद, संस्कृति, विलेज टूअर आर्ट आदि को बढ़ावा मिलेगा।

पर्यावरण अनुकूल बाजार के रूप में विकसित होगा चंपावत का चाय बगान

पर्यटन सुविधा केंद्र को स्थानीय वास्तुविद तथा स्थानीय भौगोलिक एवं पर्यावरण के अनुकूल बनाया जाएगा। जबकि चंपावत का चाय बगान स्थानीय वास्तुकला एवं प्राकृतिक उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण अनुकूल बाजार के रूप में विकसित किया जाएगा।

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