देहरादून। यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल फूलों की घाटी आज यानी एक जून से पर्यटकों के लिए खो दी जाएगी। इस संबंध ने उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड ने एक जारी कहा है कि चमोली जिले में 3,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, फूलों की घाटी में जून से अक्टूबर माह तक पर्यटक घूम सकते हैं। बता दें कि फूलों की घाटी अक्टूबर से शुरू होने वाले शेष छह महीनों तक बर्फ की चादर में ढकी रहती है।
जानकारों का कहना है कि फूलों की घाटी छह सौ से अधिक फूलों की प्रजातियों का घर है। इसमें ब्रह्मकमल जैसी कुछ ऐसी फूलों की किस्में भी शामिल हैं, जिसे उत्तराखंड के राज्य फूल का दर्जा दिया गया है। अन्य किस्मों में ब्लू पोस्पी भी शामिल हैं, जिन्हें फूलों की रानी, ब्लूबेल, प्रिमुला, पोटेंटिला, एस्टर, लिलियम, हिमालयन ब्लू पोपी, डेल्फीनियम और रैनुनकुलस आदि हैं।
बताया जाता है कि इस क्षेत्र में तेंदुए, कस्तूरी मृग और नीली भेड़ जैसी प्रजातियों के साथ एक समृद्ध जीव विविधता भी पाई जाती है। इसे साल 1982 में एक राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। सके बाद साल 2005 में इसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित कर दिया था। फूलों की घाटी लगभग 87.50 वर्ग किमी के विस्तार में फैली हुई है। यहां सिर्फ केवल पैदल ही पहुंचा जा सकता है। ये घाटी तामाम पर्यटकों और ट्रेकर्स को अपनी तरफ आकर्षित करती है।
घाटी में सत्रह किलोमीटर लंबा ट्रेक है जो 10,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित घांघरिया से शुरू होता है, जहां जोशीमठ के पास एक छोटी सी बस्ती गोविंदघाट से ट्रेक के जरिए पहुंचा जा सकता है। फूलों की घाटी में प्रवेश करने के लिए राज्य के वन विभाग से परमिट की लेनी पड़ती है। उत्तराखंड के पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर का कहना है कि उत्तराखंड को प्रकृति का आशीर्वाद प्राप्त है और फूलों की घाटी राज्य को प्रकृति का एक ऐसा उपहार है। “बहुत से पर्यटक, विशेष रूप से विदेशियों का आकर्षित करती है। व फूलों की घाटी का दौरा करना पसंद करते हैं।