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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : आम आदमी पार्टी की सरकार ने जब पूर्व मंत्री और शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया पर आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया, तो शिअद ने सड़कों पर उतरकर विरोध जताना शुरू कर दिया।

काफी समय से राजनीतिक रूप से हाशिये पर चल रही शिअद अब फिर से सक्रिय होती नजर आ रही है। 2017 के बाद से शिअद लगातार संघर्ष कर रही थी, और तीन कृषि कानूनों को लेकर भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद पार्टी की हालत और भी खराब हो गई थी। लेकिन 25 जून को मजीठिया पर एफआईआर दर्ज होने के बाद से पार्टी में नई ऊर्जा दिखाई दे रही है।

अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या मान सरकार वही गलती दोहरा रही है जो 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने की थी? उस समय कैप्टन ने प्रकाश सिंह बादल और उनके बेटे सुखबीर बादल पर भी आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज करवाया था। 2004 में दोनों को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि यह कदम कांग्रेस पर ही भारी पड़ा, और 2007 में अकाली दल-भाजपा गठबंधन सत्ता में लौट आया था।

इसी तरह 25 जून को मजीठिया की गिरफ्तारी के बाद, आम आदमी पार्टी के मंत्री यह बयान दे रहे हैं कि गिरफ्तारी ड्रग्स केस में हुई है, जबकि विजिलेंस विभाग ने जो मामला दर्ज किया है वह आय से अधिक संपत्ति को लेकर है।

मजीठिया की पेशी से पहले बुधवार को पुलिस ने अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल समेत कई वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में ले लिया। इसके साथ ही पूरे राज्य में कई अन्य अकाली नेताओं को भी नजरबंद कर दिया गया।

इस कार्रवाई से पार्टी के कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा दिखाई दे रही है। जो कार्यकर्ता लंबे समय से निष्क्रिय थे, वे अब फिर से सक्रिय हो रहे हैं।

सुखबीर बादल ने घोषणा की है कि वे 15 जुलाई को आम आदमी पार्टी की लैंड पूलिंग नीति के खिलाफ लुधियाना में बड़ा प्रदर्शन करेंगे।

अब देखने वाली बात यह है कि क्या इतिहास खुद को दोहराएगा या इस बार राजनीतिक समीकरण कुछ और होंगे।