
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन सिंह माहरा ने राज्य सरकार पर कड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि पेपर लीक मामलों में सत्तापक्ष के कई नाम लगातार सामने आते रहे हैं। माहरा ने एसआइटी पर भरोसा जताने से इनकार करते हुए कहा कि इस मामले में सीबीआई जांच होनी चाहिए, जिसकी अध्यक्षता हाईकोर्ट के सिटिंग जज करें। उनका मानना है कि इससे मुख्य आरोपी हाकम सिंह को पकड़ना आसान होगा।
माहरा ने दावा किया कि अगर बड़ी मछली पकड़ी गई तो भाजपा की सरकार ही गिर सकती है। उन्होंने कहा कि पेपर लीक मामले में यदि कोई अल्पसंख्यक पकड़ा गया तो मुख्यमंत्री ने उसे ‘जिहादी’ कहकर पूरे राज्य के नौजवानों को बदनाम किया। माहरा ने जोर देकर कहा कि सीएम को अपनी सरकार में हुई पेपर लीक की जिम्मेदारी स्वीकार कर माफी मांगनी चाहिए।
शनिवार को पत्रकारों से बातचीत में माहरा ने धामी सरकार को चारों ओर से घेरा। उन्होंने सवाल उठाया कि भाजपा के आइटी सेल संयोजक धर्मेंद्र चौहान के निजी स्कूल को परीक्षा केंद्र क्यों बनाया गया और उन्हें प्रशासक क्यों बनाया गया, जबकि वहीं से पेपर लीक हुआ।
माहरा ने याद दिलाया कि 2022 के पटवारी भर्ती प्रकरण में भी भाजपा से जुड़े जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह पकड़े गए थे। अब इसी मामले में हाकम सिंह के साथ-साथ धर्मेंद्र चौहान का नाम भी सामने आया है। माहरा का कहना है कि पेपर लीक बिना सरकारी संरक्षण के संभव नहीं।
उन्होंने कहा कि एसआइटी जांच में पुलिस पर दबाव पड़ेगा, इसलिए सीबीआई जांच जरूरी है। माहरा ने सुझाव दिया कि यूकेएसएसएससी अध्यक्ष पद पर वर्तमान चेयरमैन को भी त्यागपत्र दे देना चाहिए, जैसा 2022 में हुआ था।
चुनाव आयोग और न्यायालय पर हमला
माहरा ने आरोप लगाया कि उत्तराखंड में चुनाव में गड़बड़ी के मुद्दे उठाने के बावजूद चुनाव आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की। हाईकोर्ट में शरण लेने के बावजूद, पंचायत राज एक्ट की धारा 9 का उल्लंघन हुआ और उपधारा 6 व 7 में छेड़छाड़ का खुलासा हुआ। उन्होंने कहा कि शहरी लोगों के नाम ग्रामसभाओं में जोड़े गए और अगर कांग्रेस आक्रामक हुई तो भाजपा ने नाम काटने का खेल नहीं खेला।
उच्चतम न्यायालय में गुहार लगाने पर आयोग को 2 लाख रुपये का अर्थदंड देना पड़ा। माहरा का कहना है कि यह साबित करता है कि आयोग सरकार के सामने घुटने टेक चुका है।
नौकरी और पदों पर आंकड़े
माहरा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा 25 हजार नौकरियों और 41 हजार से ज्यादा पद सृजन के दावों को गलत करार दिया। उनके अनुसार, वास्तव में सिर्फ 8,995 नौकरियां दी गई, जिनमें 6,250 अस्थायी हैं।
उन्होंने बताया कि इसमें 2,300 अतिथि शिक्षक, 950 क्लस्टर व ब्लॉक रिसोर्स पर्सन, और 3,000 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शामिल हैं। पक्की सरकारी नौकरियां सिर्फ 2,745 हैं। माहरा ने चुनौती दी कि अगर कांग्रेस के आंकड़े गलत हैं तो सरकार श्वेतपत्र जारी कर वास्तविक आंकड़े पेश करे।