Prabhat Vaibhav,Digital Desk : विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद सभी राजनीतिक दलों में आंतरिक समीक्षा शुरू हो गई है। अब स्पष्ट हो रहा है कि किन नेताओं ने चुनाव के दौरान दल विरोधी आचरण किया। एनडीए के घटक दल BJP और JDU ने इस पर विशेष ध्यान दिया और कई नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की।
भाजपा की कार्रवाई
भाजपा ने चुनाव के समय और परिणामों के बाद लगातार अनुशासनिक कार्रवाई की। सबसे बड़ी कार्रवाई पूर्व केंद्रीय मंत्री राजकुमार सिंह के खिलाफ हुई। उन्हें कारण बताओ नोटिस दिया गया था, लेकिन उन्होंने नोटिस का उत्तर देने के बजाय पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
भाजपा ने अपने विधान पार्षद अशोक अग्रवाल को भी नोटिस दिया था क्योंकि उनकी पत्नी कटिहार में दलीय उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ रही थीं। अग्रवाल ने दल विरोधी आचरण के आरोप को अस्वीकार किया और पार्टी में बने हुए हैं।
इसके अलावा, भाजपा के कला-संस्कृति विभाग के संयोजक बरुण सिंह को निर्दलीय चुनाव लड़ने के कारण पार्टी से निकाल दिया गया, फिर भी वे पार्टी की गतिविधियों में सक्रिय हैं और सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में मंच पर दिखे।
जदयू ने की बड़ी कार्रवाई
जदयू ने चुनाव में दल विरोधी आचरण के आरोप में सबसे बड़ी कार्रवाई की है। पार्टी ने बगहा, पूर्वी चंपारण, बेगूसराय और भोजपुर के जिलाध्यक्षों को उनके पद से हटा दिया और इन जिलों में कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए।
बेगूसराय के जिलाध्यक्ष रुदल राय, जो पहले विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं, को भी हटाया गया। संभावना है कि भविष्य में और पदधारकों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है।
राजद और कांग्रेस की समीक्षा
महागठबंधन के बड़े दल राजद और कांग्रेस में समीक्षा तो की गई, लेकिन किसी पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। कारण यह है कि दोनों दल यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि हार के लिए कौन जिम्मेदार है।
राजद की समीक्षा बैठक में हार के लिए राज्यसभा सांसद संजय यादव और तेजस्वी यादव के करीबी कुछ नेताओं को जिम्मेदार माना गया।
कांग्रेस में हार का ठिकरा प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम सहित उन नेताओं के सिर फोड़ा गया, जिन्होंने उम्मीदवारों के चयन और राजद से समझौते की जिम्मेदारी संभाली थी। राजेश राम ने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया।




