
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : अब असुरक्षित खाद्य सामग्री और नकली दवाइयों के कारोबार पर त्वरित कार्रवाई संभव होगी। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए मुकदमों की प्रक्रिया को आसान और तेज कर दिया है। अब जिन मामलों में जेल की सजा का प्रावधान है, उन पर मुकदमा दर्ज करने के लिए राज्य मुख्यालय से अनुमति लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
इस नई व्यवस्था के तहत अब हर मंडल में तैनात मंडलीय सहायक आयुक्त (खाद्य) को मुकदमा दर्ज करने की मंजूरी देने का अधिकार दे दिया गया है। यह व्यवस्था 16 जून से लागू हो जाएगी। विभाग के आयुक्त राजेश कुमार ने इसकी जानकारी देते हुए स्पष्ट किया कि अब जिले के अधिकारियों को राजधानी लखनऊ जाकर अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे समय और संसाधन दोनों की बचत होगी।
असुरक्षित और बिना लाइसेंस बेचे जा रहे खाद्य पदार्थों के मामले में तीन साल तक की जेल का प्रावधान है, वहीं नकली दवाओं के कारोबार में दोषी पाए जाने पर 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। ऐसे गंभीर मामलों की सुनवाई मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में होती है।
दूसरी ओर, जिन मामलों में जेल की सजा का प्रावधान नहीं है, उनकी सुनवाई अपर जिलाधिकारी के न्यायालय में होती है, और ऐसे मामलों में अधिकतम दस लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
इस कदम से उम्मीद की जा रही है कि ज़मीनी स्तर पर शिकायतों पर जल्द से जल्द कार्रवाई हो सकेगी और आमजन की सेहत से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ कड़ी सजा सुनिश्चित हो पाएगी।