Prabhat Vaibhav,Digital Desk : पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में कलानौर पंचायत की 100 एकड़ उपजाऊ जमीन पर शुरू हुआ गुरु नानक देव शुगरकेन रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट आज बदहाली का शिकार है। काम रुकने के बाद यह महत्वाकांक्षी परियोजना अब किसानों के लिए उम्मीद नहीं, बल्कि डर की वजह बन गई है।
पहले चरण के बाद सरकार की ओर से फंड जारी नहीं हुआ, जिससे गन्ना रिसर्च सेंटर का काम पूरी तरह ठप पड़ गया। समय के साथ हालत यह हो गई कि उपजाऊ जमीन बंजर होती चली गई और अब यह इलाका जहरीले सांपों, जंगली सूअरों और अन्य खतरनाक जानवरों का ठिकाना बन चुका है। आसपास के किसान डर के साए में खेती करने को मजबूर हैं।
सेंटर के मुख्य गेट पर ताले लटके हुए हैं। भीतर लगी मशीनरी दूसरी जगह शिफ्ट कर दी गई है और बने हुए कमरे रखरखाव के अभाव में जर्जर हो रहे हैं। गौरतलब है कि करीब 47 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस गन्ना रिसर्च सेंटर का उद्घाटन 12 दिसंबर 2021 को तत्कालीन सहकारिता मंत्री और उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने किया था। इसके लिए ग्राम पंचायत कलानौर की 100 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई थी।
पहले चरण में हुआ था काम, फिर सब थम गया
पहले फेज में नौ गन्ना मिलों से मिले करीब 1.52 करोड़ रुपये से जमीन की फेंसिंग, मुख्य गेट, ऑफिस कैंपस, ट्रैक्टर, गन्ना बोने की सुविधा, स्टाफ व्यवस्था और रखरखाव का इंतजाम किया गया था। इसके साथ ही चार लैब, आठ ट्यूबवेल और अन्य सुविधाओं की योजना बनाई गई थी। कुछ ट्यूबवेल के लिए बोरिंग भी कराई गई।
इस सेंटर में कीट जांच लैब, बायो-कंट्रोल यूनिट, टिशू कल्चर यूनिट, गन्ना जूस यूनिट, खेती प्रशिक्षण केंद्र, पौध तैयार करने की ट्रेनिंग, कमर्शियल यूनिट और रेस्ट हाउस जैसी सुविधाएं प्रस्तावित थीं। लेकिन फंड की कमी के चलते सारी योजनाएं कागजों में ही सिमट कर रह गईं।
एएपी सरकार में भी नहीं सुलझी स्थिति
सत्ता में आई आम आदमी पार्टी सरकार ने जून 2023 में इस गन्ना रिसर्च सेंटर को पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, लुधियाना को सौंपने की मंजूरी दी थी। बावजूद इसके अब तक कोई विभाग इसे अपने अधीन लेने को तैयार नहीं है। नतीजतन, सेंटर जस का तस पड़ा हुआ है।
किसान बोले: उम्मीद सफेद हाथी बन गई
गन्ना रिसर्च सेंटर से जुड़े किसान जगदीप सिंह, रणजीत सिंह, जसबीर सिंह और कश्मीर सिंह का कहना है कि यह परियोजना अब सफेद हाथी बन चुकी है। जमीन जंगल में तब्दील हो गई है और बड़े जहरीले सांप खेतों तक पहुंच रहे हैं। किसानों के मुताबिक, वे अब डर के कारण दिन में ही खेतों में सिंचाई कर पा रहे हैं।
जम्हूरी किसान सभा के जिला अध्यक्ष हरजीत सिंह काहलों ने बताया कि पहले इस जमीन को लीज पर लेकर कई परिवार अपनी रोजी-रोटी चलाते थे। जमीन अधिग्रहण के बाद ग्राम पंचायत को भी करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है।
शुगरफेड का बयान
शुगरफेड के प्रबंध निदेशक सेनू दुगल ने बताया कि पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी ने पहले इस जमीन को अपने नाम करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उसे स्वीकार नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि शुगरफेड फरवरी महीने में इस जमीन पर गन्ने की बुआई करने की योजना बना रहा है और इसको लेकर अधिकारियों के साथ बैठक हो चुकी है। फिलहाल, सरकार की ओर से गन्ना रिसर्च सेंटर का प्रोजेक्ट रुका हुआ है।




