
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : शुक्रवार दोपहर को जब अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में बहुचर्चित वनंतरा प्रकरण का फैसला सुनाया जा रहा था, उस समय अदालत से कुछ ही दूरी पर माहौल बेहद तनावपूर्ण था। फैसले के विरोध में कांग्रेस समेत कई संगठनों के लोग सड़कों पर उतर आए और जमकर प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने आरोपियों को फांसी देने की मांग करते हुए पुलिस की बैरिकेडिंग तोड़ डाली। इस दौरान स्थिति बिगड़ गई और पथराव शुरू हो गया, जिसमें तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए। हालात संभालने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए वाटर कैनन का सहारा लिया गया।
सुबह से ही जिले भर के लोग न्यायालय के आसपास जमा होने लगे थे। किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए पहले से ही भारी पुलिस बल तैनात किया गया था, जिसमें पौड़ी के साथ-साथ हरिद्वार, टिहरी और उत्तरकाशी से भी पुलिसकर्मी बुलाए गए थे। महिला पीएसी की दो प्लाटून और एक कंपनी पीएसी भी मोर्चा संभाले हुए थी। अदालत परिसर के आसपास के क्षेत्र को पूरी तरह से सील कर दिया गया था और आम जनता के प्रवेश पर रोक थी। दुकानों को भी बंद रखा गया।
करीब दस बजे के बाद शिव मंदिर के पास बैरिकेडिंग पर लोगों की भीड़ इकट्ठा होने लगी और सरकार के खिलाफ नारेबाज़ी शुरू हुई। जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, भीड़ और आक्रोश दोनों बढ़ते गए। प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की, जिससे पुलिस और भीड़ के बीच धक्का-मुक्की शुरू हो गई। कुछ प्रदर्शनकारियों को हल्का बल प्रयोग के दौरान चोट भी आई।
वहीं, कई प्रदर्शनकारी अदालत के पिछले हिस्से की ओर निकल गए और वहां लगी बैरिकेडिंग को तोड़ने लगे। स्थिति पर नजर रखने के लिए पुलिस ने ड्रोन की भी मदद ली। दोपहर करीब एक बजे माहौल और बिगड़ गया जब कुछ उपद्रवियों ने पुलिस पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया, जिससे तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए। इसके बाद पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए वाटर कैनन और बल प्रयोग किया।
इस पूरे घटनाक्रम के दौरान वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक लोकेश्वर सिंह स्वयं मैदान में डटे रहे। उन्होंने सुबह अपनी टीम को ब्रीफ किया और पूरे सुरक्षा इंतजामों की निगरानी करते हुए कोर्ट परिसर में तैनात रहे। आरोपियों को वापस जेल भेजे जाने तक वह कोर्ट गेट पर ही डटे रहे।