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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : 2022 में जालंधर सेंट्रल से सबसे कम वोटों के अंतर से चुनाव जीतने वाले आम आदमी पार्टी के विधायक रमन अरोड़ा अब एक बड़े संकट में हैं। उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। खुद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की ज़ीरो टॉलरेंस नीति जारी रहेगी और चाहे कोई भी हो, बख्शा नहीं जाएगा।

अपनों से ही नहीं मिल रहा साथ

इस गिरफ्तारी ने विपक्ष को तो सरकार पर सवाल उठाने का मौका दे ही दिया है, लेकिन खुद आम आदमी पार्टी के अंदर भी दरारें साफ नजर आ रही हैं। अमृतसर नॉर्थ से पार्टी विधायक कुंवर विजय प्रताप सिंह ने सोशल मीडिया पर सार्वजनिक रूप से नाराजगी जताते हुए कहा कि रमन अरोड़ा तो मुख्यमंत्री के पारिवारिक सदस्य की तरह माने जाते थे। उन्होंने यह भी पूछा कि अगर कोई विधायक गलती करता है तो उसे सुधारने की व्यवस्था पार्टी में क्यों नहीं है?

अधिकारी भी हैं असमंजस में

पिछले दिनों पंजाब सरकार ने कई आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को उनके पदों से हटाया, लेकिन अब उनमें से कुछ को ही नई पोस्टिंग मिली है। गुरकीरत कृपाल सिंह, पुनीत गोयल, और कुलदीप चाहल जैसे अधिकारी अब भी "हवा में लटके हुए" हैं। एक सीनियर अधिकारी ने व्यंग्य करते हुए कहा, "हमारी हालत उस यात्री जैसी है जो लैंडिंग के दौरान सीट बेल्ट लगाकर बस इंतजार करता है – फर्क इतना है कि हम रिटायरमेंट का इंतजार कर रहे हैं।"

विधायक बने शिक्षा और नशा विरोधी योद्धा

पार्टी अब अपने विधायकों को फील्ड में उतारने के लिए दबाव बना रही है। सुबह उन्हें स्कूलों में जाकर 'शिक्षा क्रांति' के तहत कार्यक्रम करने होते हैं और शाम तक गांव-गांव नशे के खिलाफ मुहिम चलानी होती है। लेकिन कई विधायक इससे बचना चाहते हैं क्योंकि उन्हें किसान यूनियनों का विरोध झेलना पड़ रहा है।

एक मंत्री ने खुलकर कहा कि पुलिस की प्राथमिकता विधायकों की सुरक्षा बन गई है, जबकि किसानों को विरोध के नए तरीके अपनाने चाहिए। कई बार विधायकों को उस बात के लिए घेरा जा रहा है, जिसका सीधा संबंध उनसे होता ही नहीं।

विधानसभा में बदलाव की बयार

पंजाब विधानसभा के स्पीकर कुलतार सिंह संधवां ने इस बार महिला विधायकों की एक अलग समिति बनाकर नया प्रयोग किया है, जिसकी अध्यक्षता इंद्रजीत कौर मान करेंगी। यह बदलाव एक सकारात्मक संकेत हो सकता था, लेकिन स्पीकर के एक अन्य फैसले की आलोचना भी हो रही है।

लोक लेखा समिति के चेयरमैन का पद परंपरागत रूप से विपक्ष के पास होता है, लेकिन इस बार इसे सत्ता पक्ष के डॉ. इंद्रबीर सिंह निज्जर को दे दिया गया। विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने इस कदम की तीखी आलोचना की और कहा कि यह लोकतांत्रिक मर्यादाओं के खिलाफ है।