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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : मंगलवार, 9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता आनंद दुबे ने एक अहम बयान दिया है। उन्होंने कहा कि राजनीति संभावनाओं का खेल है और कोई नहीं कह सकता कि कब क्या हो जाए। यह बयान बताता है कि एनडीए और विपक्ष, दोनों के सीमित समर्थन के बावजूद, विपक्षी उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी की स्थिति मज़बूत है। दुबे ने महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के प्रचार पर करोड़ों रुपये खर्च करने, बंगाल में भाजपा द्वारा की जा रही हिंसा और काशी-मथुरा विवाद को अदालतों के ज़रिए सुलझाने की ज़रूरत पर भी बात की।
उपराष्ट्रपति चुनाव के नज़दीक आते ही राजनीतिक बयानों का दौर शुरू हो गया है। शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता आनंद दुबे ने विभिन्न मुद्दों पर अपनी प्रतिक्रिया देकर राजनीतिक माहौल गरमा दिया है।
उपराष्ट्रपति चुनाव पर शिवसेना ( यूबीटी) की राय
उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन और विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी के बीच मुकाबला है। आनंद दुबे ने माना कि सांख्यिकीय रूप से एनडीए का पलड़ा भारी है, लेकिन उन्होंने कहा कि विपक्ष पूरी कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा, "लोकतंत्र में हार-जीत सामान्य बात है, लेकिन चुनाव लड़ना ज़रूरी है। विपक्षी उम्मीदवार रेड्डी अच्छी स्थिति में हैं और कई सांसदों से संपर्क किया जा रहा है।" दुबे ने 2022 के चुनावों का उदाहरण देते हुए कहा कि इस बार परिस्थितियाँ बदली हैं और विपक्ष और मज़बूत होकर जीतने की कोशिश करेगा।
महाराष्ट्र और बंगाल की राजनीति पर हमले
आनंद दुबे ने महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल की राजनीति पर भी निशाना साधा। उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की आलोचना करते हुए कहा, "विकास कार्यों पर पैसा खर्च करने के बजाय, करोड़ों रुपये विज्ञापनों पर खर्च किए जा रहे हैं, जबकि सड़कों पर गड्ढे ही गड्ढे हैं। यह सब प्रचार क्यों?" इसके अलावा, उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का बचाव करते हुए कहा, "पश्चिम बंगाल में बीजेपी हिंसा में लिप्त रहती है और ममता सरकार को अस्थिर करने की कोशिश करती है। लेकिन ममता जी ने बंगाली अस्मिता, संस्कृति और विकास के लिए काम किया है और वह सत्ता से दूर नहीं जा पाएंगी।"
काशी-मथुरा विवाद और अदालत के फैसले का महत्व
आनंद दुबे ने काशी-मथुरा विवाद पर भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आरएसएस और अन्य संगठन इस मुद्दे पर आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि काशी और मथुरा हिंदू समुदाय की आस्था के केंद्र हैं, जिन्हें अतीत में क्षतिग्रस्त किया गया था। उन्होंने कहा, "राम मंदिर की तरह, अन्य विवादों का भी निपटारा अदालत द्वारा ही होगा।" दुबे ने ज़ोर देकर कहा कि अदालत के फ़ैसले का सम्मान करना बेहद ज़रूरी है।