
ढाका: बांग्लादेश से एक ऐसी खबर आई है जिसने दोनों देशों के सांस्कृतिक प्रेमियों को झकझोर कर रख दिया है। यहाँ, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के उस ऐतिहासिक पैतृक घर पर भू-माफिया से जुड़ी एक भीड़ ने हमला कर दिया, जहाँ बैठकर उन्होंने अपनी नोबेल पुरस्कार विजेता कृति 'गीतांजलि' के कुछ अंश लिखे थे। इस घटना में भीड़ ने घर के मुख्य द्वार को तोड़ दिया और जमकर उत्पात मचाया।
यह शर्मनाक घटना बांग्लादेश के कुश्तिया जिले में स्थित टैगोर के प्रसिद्ध 'कुঠিবাড়ি' (कुथिबाड़ी) में हुई। यह सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि भारत और बांग्लादेश की साझा सांस्कृतिक विरासत का एक अनमोल प्रतीक है। रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ भू-माफिया इस ऐतिहासिक स्थल से सटी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा करना चाहते थे।
जब हवेली के केयरटेकर (देखभाल करने वाले) ने उन्हें ऐसा करने से रोका, तो गुस्साई भीड़ ने मुख्य गेट तोड़ दिया और जबरन अंदर घुस गई। उन्होंने वहाँ अवैध निर्माण शुरू करने की भी कोशिश की और केयरटेकर को जान से मारने की धमकी दी। यह हवेली एक संरक्षित पुरातात्विक स्थल है, और इसके परिसर में किसी भी तरह का निर्माण पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण समय इस घर में बिताया था। यहीं के शांत और प्राकृतिक वातावरण में उन्होंने अपनी कई कालजयी रचनाओं को कागज़ पर उतारा था, जिनमें 'गीतांजलि' भी शामिल है, जिसके लिए उन्हें 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला था।
मामले की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन और पुलिस तुरंत हरकत में आई। उपजिला निर्वाही अधिकारी (स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी) ने मौके पर पहुंचकर अवैध निर्माण कार्य को तुरंत रुकवा दिया। उन्होंने आश्वासन दिया है कि इस गुंडागर्दी के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इस घटना के बाद बांग्लादेश के साहित्यिक और सांस्कृतिक जगत में भारी गुस्सा है। लोगों का कहना है कि यह हमला सिर्फ एक इमारत पर नहीं, बल्कि गुरुदेव के विचारों और दोनों देशों की साझा संस्कृति पर हमला है। उन्होंने सरकार से इस ऐतिहासिक धरोहर की सुरक्षा सुनिश्चित करने और दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा देने की मांग की है।