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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : महाराष्ट्र की राजनीति में कई सालों बाद दोनों ठाकरे भाई एक मंच पर साथ नजर आएंगे। खास बात यह है कि यह कोई पारिवारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक बड़ा राजनीतिक कदम है। राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी पढ़ाए जाने के खिलाफ मिलकर विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं। इसकी जानकारी शिवसेना यूबीटी सांसद संजय राउत ने दी है।

संजय राउत ने एक एक्स-पोस्ट में कहा है कि, "राज-उद्धव हिंदी भाषा के खिलाफ एक साथ रैली निकालेंगे। दो अलग-अलग आंदोलन नहीं होंगे।" संजय राउत ने पुष्टि की है कि पहले राज ठाकरे 5 जुलाई को और फिर उद्धव ठाकरे 6 जुलाई को रैली निकालने वाले थे, लेकिन अब यह आंदोलन एक ही दिन होगा।

मनसे प्रमुख राज ठाकरे की क्या प्रतिक्रिया है?

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने हिंदी के मुद्दे पर सरकार की आलोचना की है। उन्होंने सवाल किया कि हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है। यह भारत की अन्य भाषाओं में से एक है। फिर इसे पहली कक्षा से अनिवार्य क्यों बनाया जा रहा है? बच्चों को एक साथ तीन भाषाएँ क्यों पढ़ाई जा रही हैं? सरकार किस दबाव में यह फैसला ले रही है?

उद्धव ठाकरे की प्रतिक्रिया?

शिवसेना यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र सरकार पर राज्य में जबरन हिंदी भाषा थोपने का आरोप लगाया है। उन्होंने कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि सरकार राज्य पर 'हिंदी थोपने' की कोशिश कर रही है। उद्धव ठाकरे का कहना है कि उनका किसी भाषा से कोई विरोध नहीं है। वह केवल किसी भाषा को जबरन थोपे जाने के खिलाफ हैं। अब राज और उद्धव ठाकरे ने सरकार को अल्टीमेटम दे दिया है। दोनों पार्टियां पहले अलग-अलग विरोध करने वाली थीं, लेकिन अब मिलकर विरोध करेंगी।

मराठी मुद्दे पर एकीकरण की बात हुई।

राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के मिलन का उद्देश्य मराठी लोगों का उद्धार है। राज ठाकरे ने घोषणा की थी कि वह मराठी लोगों और मराठी समुदाय की भलाई के लिए काम करने वाली पार्टी के साथ एकजुट होने के लिए तैयार हैं। इसके लिए उन्होंने उद्धव ठाकरे की पार्टी की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया। साथ ही उद्धव ठाकरे ने यह भी घोषणा की कि वह पुराने गिले-शिकवे भुलाकर मराठी समुदाय के साथ एकजुट होने के लिए तैयार हैं।