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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : बिहार विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है, लेकिन अंदर का माहौल 'बजटीय शांति' से कोसों दूर है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तनातनी तो आम बात है, लेकिन शुक्रवार को उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच एक बार फिर ऐसी तीखी जुबानी जंग देखने को मिली कि सदन गरमा गया और माननीयों की मर्यादा को लेकर सवाल खड़े हो गए।

कहानी तब शुरू हुई जब तेजस्वी यादव विधानसभा में बोल रहे थे। उनके भाषण के दौरान, सम्राट चौधरी ने उन्हें टोकने की कोशिश की। इस पर तेजस्वी ने तंज कसते हुए कहा, "आपको नहीं पता है कौन क्या कर रहा है... आप तो हमारे साथ ही घूमते थे... पता भी नहीं था कहां जा रहे हैं?" तेजस्वी का इशारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हालिया पाला बदलने पर था, जहां सम्राट चौधरी ने भी महागठबंधन सरकार छोड़कर NDA का साथ दिया था।

बस फिर क्या था! सम्राट चौधरी, जो डिप्टी सीएम के तौर पर एक आक्रामक चेहरा बनकर उभरे हैं, तुरंत खड़े हो गए। उन्होंने तेजस्वी पर पलटवार करते हुए, उनके पिता लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल और जेल जाने की ओर इशारा कर दिया। सम्राट ने गुस्से में कहा कि 'आजकल बाप के कर्मों की सजा कौन-कौन भुगत रहा है, मुझे भी मालूम है!' उनका इशारा लालू यादव से जुड़े घोटालों पर था।

ये सुनते ही तेजस्वी भी कहां चुप रहने वाले थे। उन्होंने सम्राट चौधरी को जवाब दिया, "और जो कमाऊ पूत बनते थे... उनको तो सब जगह घुमाया गया, सब जगह पहुंचाया गया।" इसके बाद सम्राट चौधरी ने एक बार फिर जेल और घोटालों का जिक्र छेड़ दिया, और सदन में शोर-शराबा बढ़ गया।

विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी लगातार दोनों को शांत करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन बहस निजी हमलों के स्तर तक जा पहुंची थी। यह जुबानी जंग केवल आंकड़ों और नीतियों पर नहीं थी, बल्कि आपसी खीज और पुरानी राजनीतिक रंजिशों का भी हिस्सा लग रही थी। विधानसभा का नजारा एक बार फिर इस बात का गवाह बना कि जब 'माननीय' मर्यादा की रेखा पार करते हैं, तो लोकतांत्रिक बहस किस हद तक गिर सकती है।