समाजवादी पार्टी हार से सबक लेकर सड़क से लेकर सदन तक बीजेपी को घेरने की रणनीति बना रही है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और सपा नेता आजम खान विधायक चुने जाने के बाद अपनी संसद सदस्य पद से इस्तीफा देने की खबर है। मौजूदा चुनाव में यह नेता विधायक चुने गये हैं। राजनीतिक हलकों में इन नेताओं के संसद सदस्य के पद से इस्तीफा देने के मायने निकाले जा रहे हैं। सपा समर्थकों का कहना है कि मौजूदा दोनों नेता राज्य की सियासत में जोर आजमाइश करने के मूड मे हैं।
वैसे भी मौजूदा चुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुनाव में जीत के बाद सबकी नजर इसी तरफ थी कि क्या अखिलेश (Akhilesh Yadav) करहल से विधायक के पद से इस्तीफा देंगे या फिर आजमगढ से बतौर सांसद बने रहेंगे। पर उनका फैसला चौंकाने वाला निकला। उन्होंने अपनी किचन कैबिनेट से बैठक के बाद यह निर्णय लिया कि वह संसद सदस्य के पद से इस्तीफा देंगे। बतौर विधायक यूपी की सियासत में बने रहेंगे। चूंकि चुनाव नतीजों के बाद राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि भाजपा को चुनावी लड़ाई में मात देने के लिए पूरे पांच साल विपक्षी दलों को चुनावी मोड में रहना होगा।
चुनाव के पांच से छह महीने पहले सक्रिय होकर विपक्ष चुनावी लड़ाई में भाजपा को मात देने में सफल नहीं हो सकता। अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के निर्णय को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। इसी रणनीति के तहत आजम खां भी संसद सदस्य के पद से इस्तीफा दे रहे हैं। दोनों नेता विधानसभा में सरकार के विरोध में हुंकार भरने की तैयारी मे हैं। उनके इस निर्णय से सपा समर्थकों में उत्साह है। उनका कहना है कि सपा प्रमुख के फैसले से कार्यकर्ताओं में नये सिरे से जनता के बीच में कार्य करने का उत्साह बढा है। पार्टी के अंदर भी अखिलेश के फैसले को सराहा जा रहा है।
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