देहरादून। उत्तराखंड में महिलाओं के नाम प्रॉपर्टी खरीदने को लेकर स्टाम्प ड्यूटी में छूट के बाद भी राज्य में महिलाओं के नाम दर्ज सम्पत्ति में गिरावट देखी जा रही है। भारत सरकार के आंकड़ों पर गौर करें तो प्रदेश में साल 2015-16 तक 29 प्रतिशत महिलाओं के नाम प्रॉपर्टी दर्ज थी, जो साल 2021 में 24 फीसदी ही रह गई है।
विधानसभा में प्रस्तुत की गई आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के नेशनल फेमिली हेल्थ के सर्वे 2015-16 और 2019-21 का हवाला देते हुए बताया गया है कि राज्य में महिलाओं की भागीदारी परिवारिक फैसले लेने में बढ़ रही है। साल 2015-16 में 89.8 महिलाएं पारिवारिक निर्णय में भागीदार होती थी लेकिन साल 2019-21 तक 91 फीसदी हो चुकी है। इसी तरह महिलाओं के नाम बैंक खातों में भी इजाफा हुआ है। वहीं परेशान करने वाली बात ये है कि प्रदेश में महिलाओं के नाम पंजीकृत भूमि और घर की संख्या में काफी कमी आई है।
बता दें कि सरकार ने महिलाओं के नाम संपत्ति खरीदने पर स्टांप ड्यूटी में दो प्रतिशत की छूट देती है, बावजूद इसके प्रदेश में संपत्ति में महिलाओं की भागीदारी में गिरावट देखी जा रही है। एडवोकेट गौरव शर्मा बताते हैं कि साल 2016 के बाद सम्पत्ति की खरीद से लेकर, सम्पत्ति का अधिकार और आयकर के कानून में काफी बदलाव हुए हैं। यही वजह है कि भविष्य के विवादों से बचने के लिए परिवार के पुरुष मुखिया खुद के नाम ही प्रॉपर्टी खरीद को प्राथमिकता दे रहे हैं। शर्मा का कहना है कि सरकार को महिलाओं को मिलनी वाली स्टाम्प ड्यूटी छूट की सीमा को एक से अधिक बार किया जाना चाहिए।