It has been an experience to live in different : अलग-अलग किरदारों में जीना अनुभव रहा है: आशीष चतुर्वेदी

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लखनऊ से बॉलीवुड पहुंचने वाले आशीष चतुर्वेदी (Ashish Chaturvedi) ने ‘बड़े भैया की दुल्हनिया’, ‘तेनालीराम’, ‘चंद्रगुप्त मौर्य’, ‘लव कुश’ सहित मलाला यूसुफजई की बायोपिक ‘गुल मकई’ में काम किया है। इन दिनों वह एक चैनल पर प्रसारित हो रहे एकता कपूर के शो ‘मोलकी-दो रिश्तों की अग्निपरीक्षा’ में विकास का निगेटिव किरदार निभाकर चर्चा में हैं। शनिवार को वह लखनऊ अपने गृहनगर में आए थे और मुंबई की यात्रा को साझा किया।

Ashish Chaturvedi - actor

हजरतगंज पार्क रोड स्थित रामाकृष्ण गेस्ट हाउस में हुई प्रेसवार्ता में वह (Ashish Chaturvedi) मीडिया से मुखातिब हुए। अभिनेता आशीष चतुर्वेदी ने कहा कि मेरे पास कोई फिल्मी बैकग्राउंड नहीं था और न ही मुझे कोई गाइड करने वाला था। लखनऊ अब बड़ा शहर हो गया है, लेकिन जब हम निकले थे, तब इतनी सुविधाएं नहीं थीं। अब तो यहां में चर्चित फिल्मों की शूटिंग हो रही है।

एक प्रश्न के उत्तर में बताया, मुंबई में मेरे लिए चुनौतियां बहुत थीं। कैसे एप्रोच करूं, किसे करुं, कहां रहूं। मैं लकी रहा कि एक्टिंग में डिप्लोमा करने के बाद पहला जो शो मिल गया था, उसमें एनएसडी से निकली कई शख्सियतें थीं। उसके बाद भी चुनौतियां थीं। ध्येय था फिल्में करना है।

एकता कपूर के शो मोलकी के बाद अब ’सुहागन’ कर रहा हूं। यूपी बेस्ट बिंदिया सीरियल में काम कर रहा हूं। अग्निपरीक्षा सीरियल में काम किया। बताया कि सुहागन सीरियल बिंदिया और पायल दो बच्चियों की कहानी है। इसमें इनके पिता का रोल कर रहा हूं। उनके मामा की नजर उनके खेत और संपत्ति पर होती है। बच्चियों के बाबा उनका मार्गदर्शन करते हैं। कैसे वो मुसीबतों से निकलती हैं। ऐसे ही घटनाक्रम पर आधारित है सुहागन।

फिल्म नगरी के संघर्ष के बारे में आशीष (Ashish Chaturvedi) कहते हैं कि बहुत से लड़के आते हैं, जिन्हें मदद करता हूं। गाइड करता हूं। अपने खलनायक के किरदारों के जरिए चर्चा में आने पर आशीष चतुर्वेदी ने कहा कि जनता समझदार है, जानती है कि यह किरदार है। लेकिन फिर भी मुझे लोगों को किरदार और वास्तविकता के बारे में बताना पड़ता हूं।

अंत में उन्होंने (Ashish Chaturvedi) कहा कि मैं बचपन से क्लीयर रहा कि मुझे क्या करना है। एक एक्टर ही ऐसा है जो विभिन्न किरदार जीता है। मेरी सबसे अच्छी जिंदगी कैमरा के सामने होती है। मुझे सबसे ज्यादा ऊर्जा मिलती है, जब कैमरे के सामने होता हूं। एक्शन और कट के बीच रहना सबसे अच्छी फीलिंग होती है। पिछले चार-पांच वर्षों में मैंने जो भी रोल किए। वो अलग-अलग कैरेक्टर्स थे। अलग-अलग कैरेक्टर्स को जीना चुनौती होती है।

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