
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : इस साल अमरनाथ यात्रा की अवधि कम कर दी गई है। इस बार यात्रा 3 जुलाई से शुरू होगी और 38 दिनों तक चलेगी। पिछली बार अमरनाथ यात्रा 52 दिनों की थी। पहलगाम आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में पवित्र तीर्थस्थल की सुरक्षा के लिए बड़ी सुरक्षा योजना तैयार की गई है। एक सुनियोजित योजना बनाई गई है, जिसमें सीआरपीएफ, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सेना को शामिल किया गया है।
A total of 581 companies from various Central Armed Police Forces (CAPFs) will be deployed for the Shri Amarnath Yatra this year. The pilgrimage, scheduled to take place from July 3 to August 9, will now be conducted over a reduced duration of 38 days for the first time.
— ANI (@ANI) June 5, 2025
सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ और अन्य अर्धसैनिक बलों की कुल 581 कंपनियां तैनात की जाएंगी। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर पुलिस भी मौजूद रहेगी। सभी सुरक्षा मार्गों की सुरक्षा ऑडिट और डिजिटल मैपिंग की गई है। सीआरपीएफ डीजी ने खुद पहलगाम जाकर सुरक्षा का जायजा लिया है। हर तीर्थयात्री और टट्टू सवार के लिए डिजिटल पहचान पत्र बनाए जाएंगे।
यात्रा के काफिले में IED विस्फोट जैसी घटनाओं को रोकने के लिए जैमर लगाए जाएंगे। सुरक्षाकर्मियों के पास सैटेलाइट फोन होंगे। यात्रियों और वाहनों में रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) होगा। यात्रा में पुलिस और सीआरपीएफ की अलग-अलग समर्पित पीसीआर वैन होंगी।
गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव अटल डुल्लू, डीजीपी नलिन प्रभात और गृह मंत्रालय, सेना, अर्धसैनिक बलों, जम्मू-कश्मीर पुलिस, नागरिक प्रशासन और केंद्र और केंद्र शासित प्रदेशों की खुफिया एजेंसियों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि केंद्र और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन तीर्थयात्रियों को सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने ट्विटर पर पोस्ट किया, "अमरनाथ यात्रा के लिए समीक्षा बैठक की और तीर्थयात्रियों के लिए सुरक्षा व्यवस्था और तैयारियों का आकलन किया। अत्यधिक सतर्कता बनाए रखने और पवित्र तीर्थयात्रा के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।"
अमरनाथ यात्रा की अवधि कम करने का फैसला पहलगाम आतंकी हमले से पहले लिया गया था। इसका सुरक्षा मुद्दों से कोई लेना-देना नहीं है। यात्रा की तिथियां मौसम के आधार पर तय की जाती हैं।