
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : सावन महीने के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर चतुर्थी तक चलने वाली कांवड़ यात्रा इस बार 11 जुलाई 2025 से आरंभ हो रही है। इस दौरान देशभर से लाखों श्रद्धालु 'बोल बम' के जयघोष के साथ पवित्र नदियों से जल भरकर शिव मंदिरों तक यात्रा करेंगे और भगवान शिव का अभिषेक करेंगे।
पहले यह यात्रा मुख्य रूप से साधु-संन्यासियों द्वारा ही की जाती थी। लेकिन समय के साथ आम जनता का जुड़ाव भी बढ़ता गया। आज हर वर्ग, जाति और समुदाय के लोग इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। पहले यह यात्रा युवाओं तक सीमित थी, लेकिन अब किशोरों, वयस्कों, बुजुर्गों और यहां तक कि महिलाओं की भी भागीदारी बढ़ रही है।
अब सवाल उठता है कि क्या महिलाएं कांवड़ यात्रा कर सकती हैं? या उनके लिए कोई धार्मिक नियम या प्रतिबंध हैं?
क्या महिलाओं पर कोई रोक है?
धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में कहीं भी यह नहीं लिखा गया है कि महिलाएं कांवड़ यात्रा नहीं कर सकतीं। यानी धार्मिक दृष्टि से उन पर कोई पाबंदी नहीं है। हालांकि पारंपरिक तौर पर समाज और परिवार की सुरक्षा की चिंता के चलते महिलाएं इस यात्रा में बहुत कम संख्या में शामिल होती थीं।
मगर अब परिस्थितियां बदली हैं। सुरक्षा के बेहतर इंतज़ाम और संगठित समूहों के साथ महिलाएं भी कांवड़ यात्रा कर रही हैं। कई जगहों पर महिलाओं के विशेष कांवड़ दल भी देखने को मिलते हैं।
महत्वपूर्ण बातें जिनका ध्यान रखना चाहिए
कांवड़ यात्रा पवित्रता और संयम का प्रतीक है। इसलिए महिलाओं को भी वही नियम मानने चाहिए जो पुरुषों पर लागू होते हैं।
यात्रा के दौरान शुद्धता बनाए रखें, कांवड़ को ज़मीन पर न रखें, अगर महिला मासिक धर्म में हो, तो इस दौरान यात्रा से परहेज़ करें, अगर कोई शारीरिक समस्या या बीमारी हो तो यात्रा न करें
कांवड़ यात्रा में महिलाओं की भागीदारी एक सकारात्मक संकेत है जो यह दिखाता है कि श्रद्धा और भक्ति में किसी भेदभाव की गुंजाइश नहीं है।