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देवभूमि की डेमोग्राफी को लेकर सरकार बनाए सख्त कानून, शीतकालीन यात्रा ग्रीष्मकालीन से कई गुना अधिक फलदायी-स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद

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उत्तरकाशी। यमुनोत्री धाम में साेमवार काे शीतकालीन चारधाम यात्रा का शुभारंभ करते हुए शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने देवभूमि की सांस्कृतिक और भौगोलिक धारा को सुरक्षित रखने के लिए केंद्र और राज्य सरकार से कठोर कानून बनाने की अपील की।

उन्होंने कहा कि देवभूमि की डेमोग्राफी में परिवर्तन का खतरा महसूस किया जा रहा है और इसके बचाव के लिए विशेष समुदायों की घनी बस्तियों की अनियंत्रित बसावट पर सख्त कदम उठाए जाने चाहिए। उनका यह मानना है कि उत्तराखंड की पवित्रता और यहां के पारंपरिक संतुलन को बनाए रखने के लिए ऐसे कानूनों का बनाना जरूरी है, जो अनुपात और संतुलन की भावना के साथ लागू हों।

इस अवसर पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने शीतकालीन यात्रा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि उत्तराखंड की चारधाम यात्रा का फल ग्रीष्मकालीन यात्रा से कई गुना अधिक है, क्योंकि यहां की आर्थिकी और जनजीवन गहरे रूप से इन यात्राओं से जुड़े हैं। उन्होंने यह भी कहा कि चारधाम यात्रा न केवल पर्यटन, बल्कि यहाँ के लोगों की रोजी-रोटी और विकास से जुड़ी हुई है और वर्षभर चलने वाली यह यात्रा राज्य के आर्थिक उत्थान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

चिपको आंदोलन की यादों को किया ताजा

शंकराचार्य ने चिपको आंदोलन की यादों को ताजा करते हुए पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर जोर दिया और कहा कि 2008 में गंगा के संरक्षण के लिए जो आंदोलन चलाया गया वह आज भी जरूरी है, लेकिन अफसोस की बात है कि लोगों ने उस आंदोलन को नकारा और हमें विकास विरोधी ठप्पा लगा दिया।

उनके आगमन पर बड़कोट में ध्वनि बजी, ढोल-नगाड़ों के बीच फूलों से उनका स्वागत किया गया। कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की छात्राओं ने स्वागत गीत, नृत्य और सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। इस मौके पर गौ कथा वाचक गोपाल मणि महाराज, उपजिलाधिकारी बृजेश तिवारी, थानाध्यक्ष दीपक कठेत सहित कई प्रमुख व्यक्ति उपस्थित थे।

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