Prabhat Vaibhav,Digital Desk : पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष और लुधियाना से सांसद अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग की याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि पंजाब राज्य अनुसूचित जाति आयोग फिलहाल इस मामले से जुड़ी किसी भी जांच या प्रक्रिया में दखल नहीं देगा।
वड़िंग की याचिका में पंजाब सरकार, पंजाब अनुसूचित जाति आयोग और उसके चेयरमैन जसवीर सिंह गढ़ी पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। उनका कहना है कि आयोग ने अपनी संवैधानिक सीमाओं को पार करते हुए उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर में हस्तक्षेप किया और चुनावी माहौल में एक सोची-समझी रणनीति के तहत उनके खिलाफ मीडिया ट्रायल चलाया।
याचिका के अनुसार विवाद 11 नवंबर 2025 को होने वाले तरनतारन उपचुनाव से जुड़ा है। वड़िंग ने 3 नवंबर को एक सार्वजनिक बैठक में भाषण दिया था, जिसमें उन्होंने कई नेताओं का नाम लिया। विपक्षी दलों पर आरोप है कि उन्होंने इस भाषण को गलत तरीके से पेश किया और उसी दिन उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। अगले दिन यानी 4 नवंबर को साइबर क्राइम थाना कपूरथला में एससी/एसटी एक्ट सहित अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज कर दी गई।
वड़िंग का कहना है कि एफआईआर दर्ज होने के बाद अनुसूचित जाति आयोग ने न केवल मामले का संज्ञान लिया, बल्कि रिटर्निंग ऑफिसर और डीएसपी कपूरथला को तलब भी कर लिया। आरोप यह भी है कि आयोग के चेयरमैन ने पुलिस पर दबाव बनाकर उनकी गिरफ्तारी सुनिश्चित करने की कोशिश की और पूरी प्रक्रिया को इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित किया, जिससे चुनावी समय में उनकी राजनीतिक छवि को चोट पहुंची।
याचिका में कहा गया है कि आयोग का इस तरह हस्तक्षेप करना कानून के खिलाफ है, क्योंकि वह किसी भी चल रही पुलिस जांच में दखल नहीं दे सकता। वड़िंग ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का उल्लेख किया है, जिसमें कहा गया है कि मीडिया ट्रायल किसी भी आरोपी की “निर्दोषता की धारणा” को खत्म कर देता है।
अंत में, वड़िंग ने हाई कोर्ट से गुहार लगाई है कि आयोग की 3 और 4 नवंबर की कार्रवाई को रद्द किया जाए, आयोग को एफआईआर की जांच में हस्तक्षेप करने से रोका जाए और इस मामले से जुड़ी सभी कार्रवाइयों पर रोक लगाई जाए।




