Prabhat Vaibhav,Digital Desk : अमेरिका में भारतीय मूल के दो लोगों, ग़ज़ाला हाशमी और ज़ोहरान ममदानी की जीत ने न केवल अमेरिकी राजनीति में एक नया आयाम स्थापित किया है, बल्कि भारत के प्रति गौरव की भावना भी जगाई है। दोनों नेताओं ने अपनी कड़ी मेहनत और सिद्धांतों से अमेरिकी जनता का दिल जीत लिया है।
61 वर्षीय ग़ज़ाला हाशमी ने वर्जीनिया के लेफ्टिनेंट गवर्नर का पद जीतकर इतिहास रच दिया है। वह इस पद पर आसीन होने वाली पहली मुस्लिम और दक्षिण एशियाई महिला हैं। उन्होंने रिपब्लिकन उम्मीदवार जॉन रीड को बड़े अंतर से हराया। 4 नवंबर को हुए मतदान के बाद जैसे ही नतीजे घोषित हुए, सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में बधाइयों का तांता लग गया।
हैदराबाद से अमेरिका तक का सफर
ग़ज़ाला का जन्म 1964 में हैदराबाद में हुआ था। उनके पिता तनवीर हाशमी और माँ ज़िया हाशमी शिक्षा जगत से जुड़े थे। ग़ज़ाला चार साल की उम्र में अपने परिवार के साथ अमेरिका चली गईं। उनके शुरुआती साल हैदराबाद के मलकापेट में बीते। उस समय उनके पिता जॉर्जिया विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में पीएचडी कर रहे थे।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से संबद्ध
तनवीर हाशमी का अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) से गहरा नाता रहा। उन्होंने वहीं से एमए और एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। बाद में, वे विश्वविद्यालय में पढ़ाने के लिए अमेरिका चले गए और बाद में इंटरनेशनल एजुकेशन सेंटर की स्थापना की, जहाँ से वे निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए।
ग़ज़ाला की शिक्षा और परिवार
ग़ज़ाला ने जॉर्जिया सदर्न यूनिवर्सिटी से बी.ए. और अटलांटा स्थित एमोरी यूनिवर्सिटी से अमेरिकी साहित्य में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। उनकी शादी अज़हर रफ़ीक से हुई है और उनकी दो बेटियाँ हैं। 1991 में, वह रिचमंड में बस गईं, जहाँ उन्होंने लगभग 30 वर्षों तक प्रोफेसर के रूप में पढ़ाया।
राजनीति में प्रवेश और सफलता की कहानी
ग़ज़ाला हाशमी का राजनीतिक सफ़र 2019 में शुरू हुआ जब उन्होंने रिपब्लिकन उम्मीदवार को हराकर कई वर्षों के बाद वर्जीनिया सीनेट में डेमोक्रेटिक पार्टी को बहुमत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। उनकी साफ़-सुथरी छवि और शिक्षा क्षेत्र की गहरी समझ ने उनकी लोकप्रियता में लगातार इज़ाफ़ा किया है।
ग़ज़ाला सीनेट की सदस्य बनीं
ग़ज़ाला के प्रभाव और नेतृत्व कौशल ने उन्हें 2024 में सीनेट शिक्षा और स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया है। उनकी ऐतिहासिक जीत न केवल अमेरिका में अल्पसंख्यक और अप्रवासी समुदाय के लिए प्रेरणा है, बल्कि भारत के लिए भी गर्व का क्षण है।
भारत में खुशी की लहर
ग़ज़ाला की सफलता पर हैदराबाद से लेकर अलीगढ़ तक जश्न का माहौल है। सोशल मीडिया पर लोग उन्हें "अमेरिका में इतिहास रचने वाली भारत की बेटी" कहकर उनकी सराहना कर रहे हैं।




