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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : 25 जुलाई 2025 से श्रावण मास की शुरुआत हो रही है। यह महीना भगवान शिव की पूजा और व्रत के लिए समर्पित है। इस महीने में शिव भक्त जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और व्रत आदि से भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। श्रावण में कावड़ यात्रा भी शुरू होती है। इसी वजह से हिंदू धर्म में श्रावण को पवित्र महीना माना जाता है। साथ ही यह भगवान शिव का प्रिय महीना भी है।

 इसके साथ ही धार्मिक दृष्टि से भी श्रावण मास का महत्व काफी बढ़ जाता है। दरअसल, पौराणिक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस महीने में भगवान शिव कैलाश छोड़कर अपने परिवार के साथ धरती पर निवास करते हैं। धरती पर रहते हुए शिव अपने भक्तों पर विशेष कृपा भी बरसाते हैं। आइए जानते हैं कैलाश से भूलोक आने के बाद शिवजी कहां कहते हैं?

 महादेव कनखल में रहते हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार श्रावण मास में भगवान शिव अपने पूरे परिवार के साथ हरिद्वार के कनखल में आते हैं, जो शिव का ससुराल भी है। शिवपुराण के अनुसार एक बार देवी सती के पिता दक्ष प्रजापति ने हरिद्वार के कनखल में एक यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने शिव को आमंत्रित नहीं किया।

लेकिन सती ने बिना बुलाए ही अपने पिता के घर यज्ञ में जाने की जिद की। जब सती अपने पिता के घर पहुंची तो उनके पिता दक्ष प्रजापति ने सभी देवों के देव शिव का अपमान किया, जिसे सती सहन नहीं कर सकीं और यज्ञ की अग्नि में अपने प्राण त्याग दिए। इससे क्रोधित होकर शिव ने वीरभद्र का रूप धारण किया और दक्ष का सिर काट दिया।

लेकिन देवताओं की प्रार्थना पर शिव ने दक्ष को बकरे का सिर देकर पुनर्जीवित कर दिया। इसके बाद दक्ष ने शिव से क्षमा मांगी और भोलेनाथ से वचन लिया कि वे हर साल श्रावण मास में उसे अपने यहां रहने और उसकी सेवा करने का मौका देंगे। तब से यह मान्यता है कि भगवान शिव हरिद्वार के कांठल में दक्षेश्वर के रूप में निवास करते हैं और संपूर्ण सृष्टि का संचालन भी करते हैं।