
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने मुजफ्फरपुर में जातीय गणना एवं आरक्षण को लेकर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में केंद्र और राज्य सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि बहुसंख्यक होते हुए भी आपकी उपेक्षा होती रही है। सरकार आपको अधिकार नहीं देती, और आप सब चुपचाप सहते रहते हैं। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर कब तक आप यह सहते रहेंगे? सरकार तभी जागेगी जब आप सवाल करेंगे, आवाज उठाएंगे और अपने अधिकारों के लिए गुस्सा दिखाएंगे।
'सरकार रोटी छीनकर झुनझुना पकड़ा देती है'
तेजस्वी यादव ने कहा कि सरकार समाज को गुमराह करती है। वह झुनझुना देकर असली मुद्दों से ध्यान भटकाती है, जबकि आपके अधिकार और रोटी आपसे छीन लेती है। उन्होंने कहा कि जाति गणना एक जरूरी कदम है, जिसके बिना बहुसंख्यक समुदाय को उसका वाजिब हक नहीं मिल सकता। केंद्र सरकार जानबूझकर सरकारी संस्थानों का निजीकरण कर रही है, जिससे बहुसंख्यक समुदाय को आरक्षण से वंचित किया जा सके।
'नीतीश सरकार ने जाति गणना रिपोर्ट कूड़े में फेंकी'
नीतीश कुमार की सरकार पर तेजस्वी ने आरोप लगाया कि उन्होंने जाति गणना रिपोर्ट को अनदेखा किया है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार बनी तो जाति आधारित बजट तैयार होगा, जिससे वास्तविक विकास बहुसंख्यक समुदाय तक पहुंचे। उन्होंने लालू यादव और राजद के सिद्धांतों को दोहराते हुए कहा कि वे कभी भी सिद्धांतों से समझौता नहीं करेंगे।
'नौकरी नहीं, जमीन में भी चाहिए हिस्सेदारी'
किरोड़ीमल कॉलेज के प्राध्यापक डॉ. जीतेंद्र मीणा ने कहा कि पिछड़े समाज को केवल नौकरी में नहीं, बल्कि जमीन में भी आबादी के अनुपात में हिस्सा मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार जानबूझकर जाति गणना का विरोध करती है ताकि आरक्षण और हिस्सेदारी की मांग न उठे।
'राम की चिंता, रमुआ की उपेक्षा'
प्रो. दीपक भास्कर ने कहा कि सरकारें राम के नाम पर चिंता करती हैं लेकिन रमुआ (बहुसंख्यक पिछड़ा वर्ग) की सुध नहीं लेतीं। जाति गणना समाज में बराबरी लाने और इंसान को सम्मान देने की दिशा में पहला कदम है।
'जाति गणना सामाजिक न्याय की दिशा में पहल'
डॉ. अनिल चमड़िया ने कहा कि जाति गणना एक सामाजिक मुद्दा है, राजनीतिक नहीं। सही मंशा के साथ की गई गणना समाज को वास्तविक विकास की ओर ले जाएगी।