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Prabhat Vaibhav,Digital Desk : रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इन दिनों भारत दौरे पर हैं। वैश्विक राजनीति में एक बेहद प्रभावशाली नेता के रूप में उनकी ख्याति है, लेकिन उनकी एक आदत लोगों को लगातार हैरान करती रहती है। वे न तो इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं और न ही उनके पास स्मार्टफोन है। आधुनिक तकनीक से दूर रहने की उनकी यह आदत एक मान्यता की वजह से है।

द गार्जियन के अनुसार, पुतिन ने कई मंचों पर कहा है कि पूरा इंटरनेट सिस्टम अमेरिकी निगरानी में विकसित हुआ है। सेंट पीटर्सबर्ग में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि इंटरनेट की जड़ें अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए में हैं और यही एजेंसी इसकी दिशा तय करती है। उनका मानना ​​है कि इंटरनेट एक ऐसा मंच है जिससे वैश्विक गतिविधियों पर आसानी से नज़र रखी जा सकती है।

स्नोडेन के खुलासे से रूस की सतर्कता बढ़ गयी।

एडवर्ड स्नोडेन द्वारा खुफिया जानकारी लीक करने के बाद पुतिन का संदेह और गहरा गया। स्नोडेन ने खुलासा किया कि अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियां ​​बड़ी टेक कंपनियों के ज़रिए दुनिया भर के लोगों की गतिविधियों पर नज़र रखती हैं। पुतिन का मानना ​​है कि इंटरनेट की कमज़ोरी देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा बन सकती है।

रूस अपना स्वयं का इंटरनेट क्यों चाहता है?

पुतिन लंबे समय से मानते रहे हैं कि रूस को एक स्व-नियमित इंटरनेट प्रणाली विकसित करनी चाहिए। उनका तर्क है कि विदेशी सर्वरों पर निर्भरता देश की सुरक्षा को ख़तरे में डाल सकती है। कई रूसी विशेषज्ञों का मानना ​​है कि एक मज़बूत घरेलू नेटवर्क बाहरी दबाव और निगरानी जैसे जोखिमों को कम करेगा।

क्या रूस लोगों की गतिविधियों पर भी नज़र रखता है?

एक टीवी कार्यक्रम में स्नोडेन ने पुतिन से पूछा कि क्या रूस भी अपने नागरिकों की डिजिटल निगरानी करता है। पुतिन ने हँसते हुए जवाब दिया कि रूस के पास अमेरिका जितनी क्षमताएँ और विशाल बजट नहीं है। उनके जवाब को आधा मज़ाक और आधा इशारा समझा गया, मानो वे इस विषय पर विस्तार से कुछ कहना ही नहीं चाहते थे।