Prabhat Vaibhav,Digital Desk : बिहार विधानसभा चुनाव के चलते प्रत्याशियों ने शहरों के साथ ही गांवों और पहाड़ी इलाकों में भी अपनी मेहनत शुरू कर दी है। लेकिन तिलौथू प्रखंड के रामडीहरा पंचायत में स्थित फुलवरिया गांव का हाल कुछ अलग है। ये गांव कैमूर पहाड़ी पर बसा है और 1952 के पहले आम चुनाव से लेकर आज तक किसी भी राजनीतिक दल का प्रत्याशी यहां वोट मांगने नहीं आया।
12 किलोमीटर का कठिन रास्ता तय कर वोट डालना मजबूरी
हैरानी की बात है कि गांव के कई बुजुर्ग आज तक किसी सांसद या विधायक को देख भी नहीं पाए हैं। यहां के मतदाताओं को अपना वोट डालने के लिए करीब 12 किलोमीटर लंबा पहाड़ी रास्ता तय कर चुरेसर गांव जाना पड़ता है।
गांववालों का डर है कि अगर वे मतदान के लिए नहीं गए तो उनका नाम वोटर लिस्ट से हट सकता है। रामडीहरा पंचायत के अंतर्गत आने वाले इस गांव में न तो कोई अधिकारी सरकारी योजनाओं का जायजा लेने आता है, न ही गांव के लिए कोई नई योजना लागू होती है।
पेयजल की सुविधा आज भी दूर
गांव में शुद्ध पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। लोग 2 किलोमीटर दूर से पानी लाने को मजबूर हैं। स्वास्थ्य विभाग या पंचायत की ओर से इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। परिणामस्वरूप, राष्ट्रीय उच्च पथ 119 के मैदानी इलाके से 8 किलोमीटर दूर बसे इस गांव के लोग फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर हैं।
गांववालों ने इस मामले में कई बार शिकायत की है—पूर्व मंत्री मुरारी प्रसाद गौतम, जिला पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी और स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग तक।
सड़क निर्माण के दौरान जलापूर्ति ठप
मुखिया अनीता टोप्पो बताती हैं कि पहले यहां से तीन किलोमीटर दूर रसूलपुर गांव में स्वास्थ्य विभाग की एक करोड़ रुपए की लागत से बनी पानी टंकी से पेयजल आता था। लेकिन एनएच 119 सड़क निर्माण के दौरान पाइपलाइन क्षतिग्रस्त हो गई, जिससे जलापूर्ति ठप हो गई।
सड़क निर्माण की राशि में पाइपलाइन को फिर से बनाने का खर्च भी शामिल था, लेकिन अब तक पाइपलाइन दुरुस्त नहीं हुई और मुख्यमंत्री की नल जल योजना के तहत भी इस वार्ड में शुद्ध पेयजल नहीं पहुंच पाया।
फ्लोराइड युक्त पानी का खतरा
गांव का पानी 80 फीट गहराई तक फ्लोराइड युक्त है। कहीं-कहीं सरकारी चापाकल लगे हैं, लेकिन वहां से भी फ्लोराइड युक्त पानी ही आता है। आरटीआई कार्यकर्ता अमरदीप कुमार ने राज्य सूचना आयोग तक इस समस्या को उठाया, लेकिन समाधान अभी भी नहीं हुआ।
शंकर खरवार बताते हैं कि फ्लोराइड युक्त पानी पीने से गैस, पेट की समस्याएं, दांत खराब होना और जोड़ों की बीमारी होती है। यह पानी न सिर्फ मानव के लिए, बल्कि पशुओं के लिए भी हानिकारक है।
रोहित खरवार कहते हैं कि पिछले पांच वर्षों में कई बार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से गुहार लगाई गई, लेकिन समस्या जस की तस है। लोग आज भी सोन नदी के किनारे लगे रिंग कल से पानी लाते हैं।
आगे की योजना
इस वार्ड में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर शुद्ध पानी पहुंचाने के लिए वरीय अधिकारियों को जानकारी दी गई है। जैसे ही कोई दिशा-निर्देश आएगा, आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी, बताते हैं अबू वकर, कनीय अभियंता-पीएचईडी।




