Conference of Buddhist monks and scholars : बौद्ध धर्म के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में पूर्व राष्ट्रपति ने की कालातीत ज्ञान की व्याख्या, 11 देशों से आए बौद्ध भिक्षुओं एवं विद्वानों का महत्वपूर्ण सम्मेलन

img

देहरादून। राजपुर रोड स्थित हयात सेंट्रिक में सोमवार को थेरवाद बौद्ध धर्म और सामाजिक सहभागिता पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें 11 देशों से आए बौद्ध भिक्षुओं एवं विद्वानों के महत्वपूर्ण सम्मेलन की शुरुआत हुई। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने किया। उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि), अंतरराष्ट्रीय थेरवाद संघ परिषद के अध्यक्ष डॉ. लाग महानायक महाथेरा और डॉ. एमके औतानी की उपस्थिति ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।

मुख्य अतिथि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने थेरवाद बौद्ध धर्म में गहन अंतर्दृष्टि और विपश्यना ध्यान की परिवर्तनकारी शक्ति को साझा किया। पूर्व राष्ट्रपति ने थेरवाद बौद्ध धर्म की शिक्षाओं में निहित कालातीत ज्ञान की व्याख्या की, जो दर्शकों को गहराई से पसंद आया और आधुनिक जीवन की जटिलताओं के बीच इसकी स्थायी प्रासंगिकता पर सामूहिक चिंतन को प्रज्वलित किया।

राष्ट्रपति ने न केवल बौद्ध धर्म के दार्शनिक आधारों पर प्रकाश डाला, बल्कि समकालीन भारतीय समाज में विपश्यना ध्यान के व्यावहारिक अनुप्रयोग पर भी जोर दिया। उन्होंने आंतरिक शांति, मन की स्पष्टता और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने में इस प्राचीन अभ्यास के गहरे प्रभाव को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया, जिससे लचीलेपन और समानता के साथ आधुनिक दुनिया की चुनौतियों से निपटने का मार्ग प्रशस्त हुआ।इसके अलावा पूर्व राष्ट्रपति ने अमृत उद्यान में उनके कार्यकाल में रोपित ऐतिहासिक बोधगया महाबोधि वृक्ष के बारे में जानकारी भी दी।

विपश्यना ध्यान के महत्व को रेखांकित करने के अलावा पूर्व राष्ट्रपति ने 10 दिवसीय विपश्यना पाठ्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डाला और गहन व्यक्तिगत परिवर्तन व आंतरिक जागृति को उत्प्रेरित करने की क्षमता पर जोर दिया। उनके प्रोत्साहन ने पृष्ठभूमि या विश्वास की परवाह किए बिना जीवन के सभी क्षेत्रों के व्यक्तियों के लिए इस अभ्यास की पहुंच की एक शक्तिशाली अनुस्मारक के रूप में कार्य किया। इसके अलावा पूर्व राष्ट्रपति ने डॉ. एमके औतानी के समर्पित प्रयासों की सराहना की। औतानी भारत की बौद्ध कला और संस्कृति के संरक्षण और प्रचार में लगे हुए हैं।

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने बुद्ध की शिक्षाओं के गहन महत्व पर प्रकाश डाला और समकालीन भारतीय समाज में उनकी स्थायी प्रासंगिकता को रेखांकित करने के लिए बौद्ध देशों में उनकी व्यापक यात्राओं का जिक्र किया। व्यक्तिगत अनुभवों के माध्यम से राज्यपाल ने आधुनिक जीवन की जटिलताओं को सुलझाने में इसके कालातीत ज्ञान और व्यावहारिक प्रयोज्यता को स्पष्ट करते हुए बौद्ध दर्शन के सार को उजागर किया।

राज्यपाल ने कहा कि बौद्ध धर्म के महात्मा और गुरुओं के मार्गदर्शन में बुद्ध के मूल सिद्धांतों को अपनाकर, यह लोगों को सुख, शांति, और आत्म-समर्पण की अनुभूति कराता है। थेरवाद बौद्ध धर्म का महत्व ध्यान और उसकी महत्ता में है। ध्यान का अभ्यास इस धर्म के अनुयायियों को अपने जीवन को सार्थक और समृद्ध बनाने के लिए एक मार्गदर्शक द्वार में साबित होता है।

विशिष्ट अतिथि धार्मिक नेता डॉ. लॉग महानायक महाथेरा ने राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों मंचों पर भारतीय बौद्ध धर्म के प्रचार और संरक्षण के लिए उनकी स्थायी प्रतिबद्धता को मान्यता देते हुए बौद्ध धर्म के प्रति उनके अटूट समर्थन के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के प्रति आभार व्यक्त किया।

मुख्य आयोजक डॉ. एमके औतानी और ए. हितो कार्यक्रम के सह-आयोजक रहे। डॉ. हीरो हितो और डॉ. शालू नेहरा समारोह के संयोजक रहे। सम्मेलन ने थेरवाद बौद्ध धर्म के स्थायी मूल्यों और समकालीन सामाजिक चुनौतियों से निपटने में उनकी गहन प्रासंगिकता को बढ़ावा देने के लिए ज्ञानोदय, संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने के प्रतीक के रूप में कार्य किया। युंकर हिस्टोरिकल रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. हीरो हितो ने स्वागत भाषण दिया, जिससे थेरवाद बौद्ध धर्म और सामाजिक सहभागिता के अंतर्संबंध पर एक व्यावहारिक प्रवचन का माहौल तैयार हुआ।

Related News