
Prabhat Vaibhav,Digital Desk : आज विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है। अब तो पुरुष और महिला के बीच शारीरिक संबंध के बिना भी बच्चे पैदा हो जाते हैं। आइए आपको विस्तार से बताते हैं कि यह कैसे संभव है? आज के समय में चिकित्सा विज्ञान इतना आगे बढ़ चुका है कि बिना शारीरिक संबंध के भी बच्चा पैदा करना संभव है। यह उन दंपत्तियों के लिए एक बड़ी उम्मीद है जो किसी कारणवश प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं कर पाते। करियर, देर से शादी, स्वास्थ्य समस्याओं और बांझपन के कारण, कई दम्पतियों को संतान प्राप्ति के लिए चिकित्सीय तकनीकों का सहारा लेना पड़ता है। आईवीएफ सबसे लोकप्रिय है, लेकिन कई अन्य विधियाँ भी उपलब्ध हैं।
आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) में, एक महिला के अंडे और पुरुष के शुक्राणु को प्रयोगशाला में मिलाया जाता है। फिर भ्रूण को महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है, लेकिन आईवीएफ ही एकमात्र विकल्प नहीं है। आईयूआई (अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान) में, पुरुष के शुक्राणु को सीधे महिला के गर्भाशय में डाला जाता है। यह विधि आईवीएफ की तुलना में आसान और कम खर्चीली है और कई मामलों में सफल भी होती है। यदि पुरुष और महिला दोनों प्रजनन अंग काम नहीं कर रहे हैं, तो दाता अंडे या दाता शुक्राणु का उपयोग किया जा सकता है। यह तकनीक आईवीएफ या आईयूआई के साथ मिलकर काम करती है।
कुछ स्वास्थ्य स्थितियों में, महिला स्वयं बच्चे को जन्म देने में असमर्थ होती है। ऐसी स्थिति में सरोगेसी का विकल्प अपनाया जाता है। इसमें भ्रूण का विकास किसी अन्य महिला के गर्भाशय में होता है। आजकल, महिलाएं अपने अंडों को फ्रीज करवा सकती हैं। इससे उन्हें बाद में गर्भधारण की योजना बनाने में मदद मिलती है। यह तकनीक देर से शादी करने वाली और करियर-उन्मुख महिलाओं के लिए मददगार है। हर मामला अलग होता है, इसलिए कोई भी तकनीक अपनाने से पहले किसी प्रजनन विशेषज्ञ से सलाह लेना ज़रूरी है। उचित मार्गदर्शन से सफलता की संभावना बढ़ जाती है।